दोस्तों, कभी-कभी जिंदगी में कुछ सबक महंगे पड़ते हैं, और मेरा ताजा सबक था पोस्ट ऑफिस का, जहां 12,000 रुपये का फटका खाकर मुझे रजिस्ट्री, स्पीड पोस्ट और पार्सल का फर्क समझ आया! 😔
चलो, पूरी कहानी सुनाता हूं, ताकि तुम भी मेरी तरह ठोकर न खाओ।
बात शुरू हुई मेरी किताब “जहाजी” से, जिसका वितरण जोर-शोर से चल रहा है।
कल मैं बड़े जोश में 100 किताबें लेकर पोस्ट ऑफिस पहुंचा, ताकि अपने पाठकों तक अपनी रचना पहुंचाऊं। किताबें दीं, पैकिंग हुई,
और फिर बारी आई पैसे देने की। क्लर्क ने बिल थमाया – 12,000 रुपये से ज्यादा! मैं तो भौचक्का रह गया।
हर किताब का वजन 340 ग्राम था, और प्रति किताब 120.34 रुपये लगे।
अब क्या करता? किताबें भेजनी थीं, पैसे देने थे, सो दे दिए। लेकिन मन में एक सवाल बार-बार उठ रहा था – “कुछ तो गड़बड़ है! ऐसे तो हर किताब भेजने में मेरी जेब से पैसे निकल जाएंगे।”
आज फिर पोस्ट ऑफिस गया, इस बार ढंग से बात की। रसीद दिखाई, जिसमें एक किताब के 120.34 रुपये लिखे थे। तब जाकर असली माजरा समझ आया। मेरी किताबें रजिस्ट्री के तहत भेजी गई थीं, जिसके चलते इतना खर्चा हुआ। अगर स्पीड पोस्ट से भेजता, तो एक किताब का खर्च 71 रुपये आता। और अगर पार्सल से जाता, तो मात्र 43 रुपये!
तो आखिर फर्क क्या है इन तीनों में?
पोस्ट ऑफिस वाले भैया ने बड़े प्यार से समझाया, और मैं तुम्हें भी बता देता हूं:
1 रजिस्ट्री
◦ इसमें पैकेट सिर्फ उसी व्यक्ति को डिलीवर होता है, जिसका नाम लिखा होता है।
◦ जरूरी दस्तावेज, जैसे कानूनी कागजात, के लिए बेस्ट।
◦ लेकिन खर्चा? 120+ रुपये प्रति किताब!
2 स्पीड पोस्ट
◦ ये तेजी से डिलीवर होती है, और घर के किसी भी सदस्य को दे दी जाती है।
◦ किताबें या सामान भेजने के लिए ठीक है।
◦ खर्चा: 71 रुपये प्रति किताब।
3 पार्सल 📦
◦ सबसे सस्ता और किताबों जैसे सामान के लिए बेस्ट।
◦ डिलीवरी घर के किसी सदस्य को हो जाती है।
◦ खर्चा: सिर्फ 43 रुपये प्रति किताब।
किताबें भेजनी हों, तो पार्सल ही बेस्ट है। अगर जल्दी चाहिए, तो स्पीड पोस्ट। और रजिस्ट्री? वो सिर्फ तब, जब कोई जरूरी दस्तावेज भेजना हो।
तो दोस्तो, पोस्ट ऑफिस जाओ, तो पहले सारी डिटेल्स पूछो,
Boring
This post has received widespread feedback from users for being monotonous and overly repetitive.