Loading Logo

Indlæser..

17222 Points· 2 w

*''यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत I अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानम सृज्याहम।।''*
का अर्थ है
कि जब-जब *धर्म की हानि* और *अधर्म की वृद्धि* होती है, तब-तब भगवान स्वयं को प्रकट करते हैं।

*वर्तमान संदर्भ में*

*धर्म की हानि*
मतलब "पुरानी केंद्रीकृत वित्तीय प्रणाली" से जन्मे *"भ्रष्टाचार,अत्याचार, धोखा-धडी"* (अधर्म ) *की वृद्धि* हो रही है।
( जिस कारण "अमीर और अमीर" "गरीब और गरीब" हो रहे है )
*इसिलिये* "पाई" के रूप में *"सत्य-विचार व्यवस्था"* ( एक "नई विकेंद्रीक्रत अर्थ- व्यवस्था" ) *प्रकट हो रही है*

image